नई दिल्ली, 29 जनवरी, 2024: भारतीय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने हाल ही में उच्च शिक्षा संस्थानों में आरक्षण नीतियों के लागू करने के लिए तैयार किए गए नए दिशानिर्देशों पर आलोचना का सामना किया है।
छात्र समूहों ने दिशानिर्देशों का विरोध किया
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) ने दिशानिर्देशों के वापस लेने की मांग की है और कहा है कि एससी, एसटी, और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित श्रेणी की सीटों के आरक्षण के प्रावधान असमानता और हाशिए पर बने रहेंगे।
दिशानिर्देशों की जमकर की आलोचना
AISA का मानना है कि यह आरक्षण प्रक्रिया में स्पष्ट दिशानिर्देशों की कमी है और इसका दुरुपयोग किया जा सकता है। उनका दावा है कि इससे वंचित समुदायों के लिए अवसरों में बाधा उत्पन्न करेगा, परिसरों में विविधता कम होगी, और समावेशी शैक्षणिक वातावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
यूजीसी के अध्यक्ष का बयान
UGC के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने स्पष्ट किया है कि केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में पहले किसी भी आरक्षित सीट को अनारक्षित नहीं किया गया है और ऐसा करने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आरक्षित सीटों के सभी बैकलॉग भरे जाने चाहिए।
परामर्श प्रक्रिया की आलोचना
AISA ने इस भी तर्क दिया कि परामर्श प्रक्रिया अपर्याप्त थी, क्योंकि दिशानिर्देश व्यापक प्रसारण के बिना केवल अंग्रेजी में ऑनलाइन प्रकाशित किए गए थे। उनका मानना है कि दिशानिर्देश जारी करने से पहले एक निष्पक्ष परामर्श नीति अपनाई जानी चाहिए थी।
आरक्षण पॉलिसी पर सवाल
इसके अतिरिक्त, AISA ने उन प्रवेश दिशानिर्देशों के बारे में चिंता व्यक्त की जो आरक्षित श्रेणी की सीटों को भरने के कई असफल प्रयासों के बाद अनारक्षित में परिवर्तित करने की अनुमति देते हैं। उनका मानना है कि इससे आरक्षण नीतियों को पूरा होने से रोका जा सकेगा।
इन दिशानिर्देशों का विवाद उच्च शिक्षा में आरक्षण पॉलिसी के कार्यान्वयन पर हुआ है और इसने छात्र समूहों के बीच बड़ी चर्चा को प्रकट किया है।
[संक्षेप: UGC ने हाल ही में उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए आरक्षण नीतियों के लागू करने के नए दिशानिर्देशों पर आलोचना हो रही है। AISA और अन्य छात्र समूह इन दिशानिर्देशों के खिलाफ हैं और उनके वापस लेने की मांग कर रहे हैं।]